मुमकिन है कि
तेरे बारे में उम्मीद से
ज्यादा संजीदा हो गया होगा
वह उसका बुरा वक़्त था
तुमसे सच कह दिया
यह उसकी भूल थी
उसने काफी फजीहत से
समय की नब्ज पर
अपनी जिन्दगी को
पत्तों की तरह हवा में
गुम कर दिया
कभी गुलाब के पत्तों पर
चिपके उसके दर्द
चुपके से माथे पर
टपक आये
तुमने एक सिरे से
उसे खाक में मिला दिया
शायद एक संताप को जीने बाला
उसका मन - मिजाज
सिर्फ तुम्हारा ही तो था .....
राहुल, पटना ...............