Tuesday, September 16, 2008

मुमकिन

मुमकिन है कि

तेरे बारे में उम्मीद से

ज्यादा संजीदा हो गया होगा

वह उसका बुरा वक़्त था

तुमसे सच कह दिया

यह उसकी भूल थी

उसने काफी फजीहत से

समय की नब्ज पर

अपनी जिन्दगी को

पत्तों की तरह हवा में

गुम कर दिया

कभी गुलाब के पत्तों पर

चिपके उसके दर्द

चुपके से माथे पर

टपक आये

तुमने एक सिरे से

उसे खाक में मिला दिया

शायद एक संताप को जीने बाला

उसका मन - मिजाज

सिर्फ तुम्हारा ही तो था .....

राहुल, पटना ...............

Sunday, September 14, 2008

जब बदल जाएगा ...

तुमसे कुछ कहना नहीं
सिर्फ़ एहसास की होती है कीमत
जब देखोगे मन से
सब बदल जाएगा
सब ख़त्म हो जाएगा
किसी तिनके की तरह
झूलता----
और बुलबुले के समान
होती हैं यादें
उसे पलकों से सहेजो
जरा करीब से
भूलते -भटकते पलों के
बेचैन रंजोगम में
दो-चार दिन है तेरे नाम
उसी तिनके की बिसात पर
टिका है तेरा मेरा गम
प्यार , दोस्ती , मोहब्बत
हंस लो, रो लो ...
जब सब बदल जाएगा
चेहरे , मिजाज और ना जाने क्या -क्या
राहुल, पटना

Wednesday, September 10, 2008

कोसी ने डूबा दिया ....


यही कुशहा बाँध है जिसके टूटने के कारण नॉर्थ बिहार डूब गया

Friday, September 5, 2008

आंखों में जल रहा है मगर ..

राष्ट्रीय सहारा में ३ सितम्बर को प्रकाशित


Wednesday, September 3, 2008

कोसी की कसक

कोसी के कहर से बिहार कराह रहा है । लाखों लोग बेघर हो गए हैं। कोई नही जानता कि कब उनकी दुनिया फिर से आबाद होगी। सरकार हर स्तर से प्रयास कर रही है , मगर अभी और काम होना बाकी है। किसी तरह जान बचा कर लोग भाग रहे हैं। पटना स्टेशन पर हजारों लोग पलायन कर आ गए हैं। उनका सब कुछ लूट गया है। राहुल, पटना